Modern History of India General Knowledge in hindi: देश के ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बापू ने अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलकर गुलामी की जिन जंजीरों को तोडा, उसके लिए दुनियाभर में उनकी काफी प्रसंशा हुई। उनकी याद में हर वर्ष बापू की जन्मतिथि 2 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ मनाया जाता है। उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए कई आंदोलन किए, जिसके कारण अंग्रेजों की नीव को हिला कर रख दिया। आगे आप महात्मा गांधी के नेतृत्व में किए सभी महत्वपूर्ण आंदोलन के नाम व उनसे सम्बंधित जानकारी पढ़ने वाले हैं।
1. चंपारण आंदोलन 1917 (Champaran Andolan)
- वर्ष 1917 में अंग्रेजों का अत्याचार भारतीयों पर जारी था, खेतों में कड़ी मेहनत करने के बावजूद किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही थी।
- अंग्रेज, किसानों की उपजाऊ जमीन पर नील और अन्य नकदी फसलों की खेती करवाते थे और उन्हें इकसे बदले में बेहद ही कम कीमत देते थे। जिस वजह से किसानों की स्थिति दयनीय हो गई।
- बिहार के जिले चंपारण में जब गांधी जी ने किसानों की दयनीय स्थिति को देखा तो उन्होंने अप्रैल 1917 अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहला आंदोलन किया।
- महात्मा गांधी ने अंग्रेज जमींदारों की खिलाफ हड़ताल शुरू कर दी। उनके इस आंदोलन के सामने अंग्रजों को झुकना पड़ा।
- आंदोलन समाप्त करने की एवज में अंग्रेजों को एक समझौते पर हस्ताक्षर करने पड़े।
- समझौते में किसानों को नियंत्रण और क्षतिपूर्ति प्रदान की और राजस्व और संग्रह में वृद्धि को रद्द कर दिया गया था।
- चंपारण आंदोलन की सफलता के बाद ही गांधी जी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई थी।
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2. खेड़ा आंदोलन 1918 (Kheda Satyagraha in Hindi)
- अंग्रेज अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए किसानों से कर वसूली करते थे।
- वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में बाढ़ की वजह से किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई।
- किसानों ने अंग्रेज सरकार से अनुरोध किया कि वे करों के भुगतान में छूट दे, लेकिन उन्होंने कर में राहत देने से इंकार कर दिया।
- अंग्रेज सरकार के इस निर्णय के विरोध में गांधी जी और वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में, किसानों ने क्रूसयुद्ध की शुरुआत की और कर न देने की कसम खाई।
- इसके जवाब में अंग्रेज सरकार ने किसानों को उनकी भूमि जब्त करने की धमकी दी, लेकिन किसानों पर उनकी इस धमकी का ज़रा भी असर नहीं हुआ।
- करीब 5 महीने तक चला, अंग्रेज सरकार द्वारा वसूली बंद कर देने और जब्त जमीनों को छोड़ देने के बाद खेड़ा आंदोलन मई 1918 में समाप्त हो गया।
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3. खिलाफत आंदोलन (1919) (Khilafat Movement in Hindi)
- खिलाफत आंदोलन, जिसके महात्मा गांधी को राष्ट्रीय नेता बना दिया था।
- प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के पश्चात खलीफा और तुर्क साम्राज्य पर अपमानजनक आरोप लगाए गए।
- तुर्की में खलीफा की स्थिति को सुधरने के लिए मुस्लिमों ने गांधी जी के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन शुरू किया।
- मुस्लिमों से राजनितिक समर्थन प्राप्त करने के लिए गांधी जी खिलाफत आंदोलन में सहयोग किया।
- महात्मा गांधी अखिल भारतीय मुस्लिम सम्मेलन के एक उल्लेखनीय प्रवक्ता बने।
- खिलफत आंदोलन के दौरान ही गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश साम्राज्य से प्राप्त पदकों को भी लौटा दिया था।
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4. असहयोग आंदोलन (1920) (Asahyog Andolan in Hindi)
- जलियावालां बाग हत्याकांड, भारतीय इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक थी।
- इस हत्याकांड ने महात्मा गांधी समेत पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
- जलियावालां बाग हत्याकांड के बाद वर्ष 1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की।
- उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से असहयोग आंदोलन शुरू किया जिसका उन्हें समर्थन भी मिला।
- इस आंदोलन के अंतर्गत लोगों ने अंग्रेजों द्वारा संचालित स्कूलों, कॉलेजों व अन्य सरकारी दफ्तरों का बहिष्कार कर दिया।
- महात्मा गांधी के द्वारा जल्द ही असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया गया।
5. सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 (Savinay Avagya Andolan in Hindi)
- मार्च 1930 में यंग इंडिया के अख़बार के माध्यम से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के सामने ग्यारह मांगें रखी थी।
- लॉर्ड इरविन की सरकार ने गांधी जी की इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया।
- महात्मा गांधी के नेतृत्व में दांडी मार्च शुरू किया गया।
- 12 मार्च 1930 को गुजरात के साबरमती आश्रम से दांडी गाँव तक यह मार्च चला।
- दांडी गाँव समुद्र तट पर नमकीन पानी से नमक बनाकर नमक पर कर लगाने वाले कानून का उल्लंघन किया, जिसके बाद भारत के कई क्षेत्रों में ब्रिटिश कानून के उल्लंघन घटनाएं हुईं।
- लोगों ने विदेशी सामान बेंचने वाली दुकानों, सरकारी कार्यालयों के सामने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
- इसी आंदोलन से भारतीय महिलाओं ने भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा बनना शुरू कर दिया।
- आंदोलन के दौरान सरोजिनी नायडू, उत्तर-पश्चिम में सबसे लोकप्रिय नेता अब्दुल गफ्फर खान के नाम प्रमुख रूप से सामने आये।
- बढ़ते प्रदर्शन ने लॉर्ड इरविन के कान खड़े कर दिए थे, उन्होंने तुरंत 1930 में लंदन में एक गोल मेज सम्मेलन की मांग की और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को बुलावा भेजा। लेकिन उन्होंने इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया और यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस दूसरे दौर के सम्मेलन का हिस्सा बनेगी।
- वर्ष 1931 में लॉर्ड इरविन गांधी के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए, जिसे गांधी-इरविन समझौता कहा जाता है।
- इस समझौते में सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा और दमनकारी कानूनों को समाप्त करने की बात कही गई थी।
6. भारत छोड़ो आंदोलन 1942 (Bharat Chhodo Andolan in Hindi)
- 8 अगस्त 1942 को शुरू हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रजों की नीव को पूरी तरह से हिला दिया था।
- महात्मा गाँधी द्वारा बिर्टिश हुकूमत को समाप्त करने के उद्देश्य से यह आंदोलन चलाया गया था।
- गांधी जी के कहने पर भारतीय कांग्रेस समिति ने अंग्रेजी सरकार के सामने भारत छोड़ने की बात राखी।
- परिणामस्वरुप अंग्रेजों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सभी सदस्यों को हिरासत में ले लिया।
- इसी आंदोलन के दौरान गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया।
- देशभर में अंग्रेजों के खिलाफ विरोध –प्रदर्शन शुरू हो गया।
- ब्रिटिश सरकार भारत छोड़ो आंदोलन को समाप्त करवाने में कामयाब हो हो गई, लेकिन इससे यह निर्धारित ही गया था कि भारत में उनके दिन बेहद कम बचे हैं।
- अंग्रेजों ने भारत को सत्ता देने संकेत दिए और गिरफ्तार किए गए सभी कैदियों को रिहा कर दिया गया।